फिलिप्स वक्र क्या है? (Philips curve)

“Hello Friends, इस लेख में “फिलिप्स वक्र” के सभी पक्षों का वर्णन किया गया है। हम आशा करते हैं कि हमारा लिखने का तरीका आपको समझने मे सहायता करेगा। लेख को पूरा पढें और Comment में Feedback जरूर दें। Thankyou!”

फिलिप्स वक्र क्या है?

फिलिप्स वक्र बेरोजगारी एवं मुद्रास्फीति के बीच एक सामान्य संबंध होता है। जैसे-जैसे बेरोजगारी की दर बढ़ती है, मुद्रास्फीति नीचे आती है। इस संबंध को ब्रिटिश अर्थशास्त्री अल्बान फिलिप्स ने एक वक्र के माध्यम से दर्शाया, जिसे फिलिप्स वक्र कहा जाता है।

बेरोजगारी एवं मुद्रास्फीति के बीच सामान्य संबंध

सामान्य परिस्थितियों में यह देखा जाता है, कि जैसे-जैसे बेरोजगारी की दर बढ़ती है, वैसे ही मुद्रास्फीति (मंहगाई) की दर नीचे आती है।

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब बेरोजगारी बढ़ती है। तो लोगों के पास आय का कोई साधन नहीं होता। जिससे उपभोग नीचे आता है। अर्थात, मांग कम हो जाती है। लेकिन आपूर्ति उतनी ही होती है। आपूर्ति के अधिक होने के कारण कंपनियां उन वस्तुओं के मूल्य को नीचे लाती है इसलिए मुद्रास्फीति (मंहगाई) भी नीचे आती है।

उदाहरण- मान लीजिए आप महीने के 10000 कमाते थे। हाल ही में आप को नौकरी से निकाल दिया, अब आपके पास आय का कोई साधन है। इसलिए अब आप उपभोग नहीं करोगे। इस स्थिति में कंपनियों के समान बिकना बंद हो जाएंगे। इसलिए कंपनियां सामान को बेचने के लिए अपने मुल्य को कम करेंगी। इस प्रकार मुद्रास्फीति (मंहगाई) नीचे आ जाती है।

स्टैगफ्लेशन की दशा में बेरोजगारी एवं मुद्रास्फीति के बीच संबंध

उपरोक्त चर्चित बेरोजगारी एवं मुद्रास्फीति के बीच सामान्य संबंध स्टैगफ्लेशन की स्थिति में उपस्थित नहीं होती है।

क्योंकि इस स्टैगफ्लेशन की दशा में मांग बिल्कुल थम जाती है। और मुद्रास्फीति लागत जनित एवं संरचना रचनात्मक कारकों की वजह से नीचे नहीं आती।

अर्थात, मांग के कम होने पर भी, लागत अधिक होने के कारण, कंपनियां वस्तुओं के मूल्य को नीचे नहीं ला पाती, इसलिए बेरोजगारी के साथ-साथ मुद्रास्फीति भी बढ़ती रहती है।

Thankyou!

Leave a Reply