“मसाला बॉन्ड,” यह नाम थोड़ा अलग और आकर्षक है।
इसे शायद भारतीय मुद्रा और अंतरराष्ट्रीय बिक्री के अनूठे मिश्रण को दर्शाने के लिए चुना गया होगा।
इसे “इंडियन रुपी डेनोमिनेटेड बॉन्ड” भी कहा जाता है।
मसाला बॉन्ड क्या हैं?
सामान्य बॉन्ड पर मूल्य डाॅलर के रुप में मुद्रित होते हैं।
मसाला बॉन्ड सामान्य बॉन्ड से भिन्न होते हैं, जिन्हें भारतीय संस्थाएं भारत के बाहर विदेशी बाजार में जारी करती हैं।
परंतु इनकी खासियत यह होती है कि इन पर मूल्य भारतीय रुपये के रुप में मुद्रित होता है।
मतलब कर्ज लेने वाली संस्था विदेशों में बेचे गए इन बॉन्ड को रुपयों में ही चुकाती है।
मसाला बॉन्ड का इतिहास
पहला मसाला बॉन्ड 2014 में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए जारी किया गया था।
तभी से, विभिन्न भारतीय कंपनियों और संस्थानों ने विदेशी निवेशकों से पूंजी जुटाने के लिए इस बॅान्ड को जारी करती आ रही है।
मसाला बॉन्ड के लाभ
इस बॉन्ड में जारीकर्ता और निवेशक दोनों को लाभ होता है-
1. निवेशकों को लाभ-
- पोर्टफोलियो में विविधता लाना:– यह बॉन्ड निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में भारतीय रुपए में denominated संपत्तियां शामिल करके विविधता लाने का अवसर प्रदान करते हैं।
- संभावित रूप से उच्चतर लाभ:- मसाला बॉन्ड विकसित बाजारों में जारी किए गए समान बॉन्डों की तुलना में अधिक लाभ दे सकते हैं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ाव:- निवेशकों को भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता का लाभ मिलता है।
2. जारीकर्ताओं को लाभ-
- धन जुटाना:- यह भारतीय संस्थाओं को निवेशकों के एक व्यापक पूल तक पहुंचने की अनुमति देते हैं, जिससे घरेलू बॉन्ड पेशकशों की तुलना में संभावित रूप से अधिक पूंजी जुटाई जा सकती है।
- वित्त पोषण स्रोतों में विविधता लाना:- इस बॉन्ड को जारी करने से घरेलू उधारदाताओं पर निर्भरता कम करने और धन का एक नया स्रोत प्रदान करने में मदद मिलती है।
- मुद्रा जोखिम से बचाव:- उधारकर्ताओं को विदेशी विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से बचाया जाता है क्योंकि वे रुपयों में भुगतान करते हैं।
मसाला बॉन्ड का विनियमन
मसाला बॉन्ड जारी करने को भारतीय प्राधिकरणों, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
विनियमन में जारीकर्ताओं की पात्रता, जुटाए गए धन के अनुमत उपयोग और निवेशक प्रतिबंध जैसे पहलू शामिल हो सकते हैं।
मसाला बॉन्ड के प्रकार
वर्तमान में कई तरह के मसाला बॉन्ड उपलब्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:-
- ग्रीन मसाला बॉन्ड:- पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर मसाला बॉन्ड:- बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए जारी किए गए।
- कॉर्पोरेट मसाला बॉन्ड:- विभिन्न कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा जारी किए गए।
मसाला बॉन्ड की चुनौतियां
- सीमित तरलता:- इसका बाजार अभी भी अपेक्षाकृत युवा है। इसमें स्थापित बॉन्ड बाजारों की तुलना में कम तरलता हो सकती है।
- मुद्रा में उतार-चढ़ाव:- हालांकि उधारकर्ता मुद्रा जोखिम से सुरक्षित रहता है, लेकिन निवेशक रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के जोखिम में रहते हैं।
- विनियामक वातावरण:- भारत या जारीकर्ता देश में विनियमन परिवर्तन
मसाला बॉन्ड का भविष्य
आने वाले वर्षों में मसाला बॉन्ड बाजार के बढ़ने की उम्मीद है।
यह भारत के आर्थिक विकास और भारतीय जारीकर्ताओं और विदेशी निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से प्रेरित है।
अन्य समान साधनों के साथ मसाला बॉन्ड की तुलना
यह बॉन्ड कुछ खास देशों में जारी किए गए अन्य विदेशी मुद्राdenominated बॉन्ड के साथ कुछ समानताएं साझा करते हैं,
जैसे:-
- डिम सम बॉन्ड:- चीन में जारी किए गए लेकिन चीनी युआन (CNY) में मूल्यवर्गित।
- सम, उराई बॉन्ड:- जापान में जारी किए गए लेकिन जापानी येन (JPY) में मूल्यवर्गित।
भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण में मसाला बॉन्ड की भूमिका
इस बॉन्ड को जारी करना भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में रुपये के उपयोग को बढ़ाकर, यह बॉन्ड वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में रुपये को बढ़ावा देने में मदद कर सकता हैं।
मसाला बॅान्ड और महाराजा बॅान्ड में अंतर
मसाला बांड और महाराजा बांड दोनों ही भारत में रुपये में मूल्यवर्ग वाले ऋण साधन हैं।
जिन्हें विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए जारी किया जाता है।
हालांकि, इन दोनों बांडों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं-
मसाला बॅान्ड | महाराजा बॅान्ड | |
1. जारीकर्ता | भारतीय कंपनियां या संस्थाएं | अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) जैसे बहुपक्षीय संस्थाएं |
2. उद्देश्य | भारतीय कंपनियों को विदेशी मुद्रा में ऋण जुटाने में मदद करना। | भारत के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन जुटाना। |
3. निवेशक | मुख्य रूप से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) | भारतीय और विदेशी निवेशक दोनों |
4. लाभ | कम ब्याज दर पर भारतीय कंपनियों को विदेशी मुद्रा में ऋण प्राप्त करने की सुविधा | भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान और घरेलू पूंजी बाजारों में विविधता लाना |
5. जोखिम | विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव का जोखिम | बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं से जुड़े जोखिम जैसे कि देरी, लागत में वृद्धि, या राजनीतिक जोखिम। |
6.उदाहरण | भारतीय रेलवे ने 2019 में 100 अरब रुपये जुटाने के लिए मसाला बांड जारी किया था। | IFC ने 2014 में 50 अरब रुपये जुटाने के लिए पहला महाराजा बांड जारी किया था। |
मसाला बांड और महाराजा बांड दोनों ही भारत के पूंजी बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मासाला बांड भारतीय कंपनियों को विदेशी मुद्रा में ऋण प्राप्त करने में मदद करते हैं।
जबकि महाराजा बांड भारत के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन जुटाते हैं।
निवेशक अपनी जोखिम सहनशीलता और निवेश के लक्ष्यों के आधार पर इनमें से किसी भी बांड में निवेश कर सकते हैं।
Thank you sir pahli bear Samaja aaya
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