You are currently viewing Stagflation – परिभाषा, कारण, प्रभाव एवं अंतर

Stagflation – परिभाषा, कारण, प्रभाव एवं अंतर

“Hello Friends, इस लेख में “Stagflation” के सभी पक्षों का वर्णन किया गया है। हम आशा करते हैं कि हमारा लिखने का तरीका आपको समझने मे सहायता करेगा। लेख को पूरा पढें और Comment में Feedback जरूर दें। Thankyou!”

stagflation

Stagflation क्या है?

Stagflation दो शब्दों के मेल से बना है- stag तथा flation।

stag शब्द Stagnant को संबोधित करता है, जिसका अर्थ रुकी हुई या थमी हुई। जबकि flation शब्द Inflation को संबोधित करता है, जिसका अर्थ है- मुद्रास्फीति

Stagflation एक विरोधाभासी दशा है, जिसमें मांग बिल्कुल थम जाती है, समृद्धि दर्ज नहीं होती अथवा अर्थव्यवस्था नीचे की ओर आने लगती है, जबकि मुद्रास्फीति निरंतर बढ़ती रहती है। अतः जब मुद्रास्फीति बिना आर्थिक समृद्धि के उत्पन्न हो। तब यह Stagflation की दशा कहलाती है।

इस मुद्रास्फीति के पीछे लागत जनित एवं संरचनात्मक कारक होते हैं। क्योंकि यहां आर्थिक समृद्धि थम जाती है, रोजगार के अवसर उत्पन्न नहीं होते। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि स्टैगफ्लेशन की दशा में बेरोजगारी की दर उच्च होती है।

सामान्यत उच्च बेरोजगारी के कारण मूल्य में कमी उत्पन्न होनी चाहिए। जो कि Stagflation के दौरान नहीं देखी जाती है। यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सर्वाधिक प्रतिकूल अवस्था है।

Stagflation के कारण

“Stagflation” के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:-

  1. मुद्रास्फीति:- भारत ने 1991 में मुद्रास्फीति का सामना किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रूपये की मूल्य बदल गई। इसने उद्योगों के लिए उपभोग की खपत को बढ़ाया और मूल्य स्थिरता को प्रभावित किया।
  2. मौद्रिक नीति:- अनियमित और अनुशासनहीन मौद्रिक नीति भी स्टैगफ्लेशन का कारण बन सकती है। उदाहरण के तौर पर, अत्यधिक मुद्रा प्रिंट करने से अधिक दरों की अवस्था हो सकती है।
  3. अर्थव्यवस्था में कमी:- उदाहरण के रूप में, किसी आर्थिक मंदी के समय में, जब उत्पादन में कमी होती है और बेरोजगारी बढ़ती है, तो मूल्य स्थिरता के साथ ही एक स्टैगफ्लेशन संभावना होती है।
  4. वित्तीय संकट:- अच्छी तरह से प्रबंधित न होने के कारण वित्तीय संकट स्टैगफ्लेशन को बढ़ावा दे सकता है।
  5. अधिक दरों की अवस्था:- अधिक बढ़ती दरों के कारण, जैसे कि वेतन और मूल्य, स्टैगफ्लेशन हो सकता है।

ये सभी कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले कुछ दशकों में देखे गए हैं और स्टैगफ्लेशन के संकेत उस समय थे।

स्टैगफ्लेशन के प्रभाव

स्टैगफ्लेशन के निम्नलिखित प्रभाव हो सकता है:-

  • अर्थव्यवस्था की विस्तार रुकावट:- स्टैगफ्लेशन के कारण उत्पादन और अर्थव्यवस्था की विस्तार में रुकावट हो सकती है, जिससे आर्थिक विकास को धीमा कर दिया जा सकता है।
  • बेरोजगारी की वृद्धि:- स्टैगफ्लेशन के कारण उत्पादन में कमी होती है और उसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
  • मुद्रा की गिरावट:– स्टैगफ्लेशन के कारण मुद्रा की मूल्य घट सकती है, जो उत्पादों के मूल्य में वृद्धि कर सकता है और लोगों की खरीदारी शक्ति को कम कर सकता है।
  • निवेश की कमी:- स्टैगफ्लेशन के समय में विश्वास की कमी होती है, जो निवेशकों को निवेश करने से रोक सकता है और उद्योग के विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • सामाजिक असमानता:- स्टैगफ्लेशन के कारण आम लोगों के जीवन में आर्थिक असमानता बढ़ सकती है, क्योंकि महंगाई के साथ ही जीवन की लागतें भी बढ़ सकती हैं।

इन प्रभावों के संयुक्त प्रभाव के कारण स्टैगफ्लेशन आर्थिक समृद्धि और समाज के विकास में बड़ी रुकावट पैदा कर सकता है।

स्टैगफ्लेशन और मुद्रास्फीति में अंतर-

स्टैगफ्लेशन और मुद्रास्फीति में अंतर होता है, जो निम्नलिखित है:-

मुद्रास्फीति (Inflation):-

  • मुद्रास्फीति एक आर्थिक स्थिति है जिसमें सामान्य मूल्य स्तर में वृद्धि होती है।
  • इसमें मुद्रा की मांग की वृद्धि के कारण मूल्य तेजी से बढ़ सकते हैं।
  • यह अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास का संकेत नहीं होता, बल्कि यह आमतौर पर मुद्रा के अधिक प्रिंट के कारण होता है।

स्टैगफ्लेशन (Stagflation):-

  • स्टैगफ्लेशन एक ऐसी आर्थिक स्थिति है जिसमें उत्पादन में गिरावट होती है, लेकिन मूल्य स्तर में तेजी से बढ़ोतरी होती है।
  • यह आर्थिक गतिविधियों के विकास की स्थिति को दिखाता है जबकि मूल्य स्तर में बढ़ोतरी का संकेत भी होता है।
  • स्टैगफ्लेशन का प्रमुख कारण अर्थव्यवस्था में निष्क्रियता और मुद्रा की मूल्य की वृद्धि हो सकती है।

इस प्रकार, मुद्रास्फीति में मूल्य स्तर की वृद्धि होती है, जबकि स्टैगफ्लेशन में मूल्य स्तर के साथ-साथ उत्पादन की गिरावट भी होती है।

Thankyou!

Leave a Reply