Calculation of Inflation मुद्रास्फीति की गणना

मुद्रास्फीति की गणना कैसे की जाती है?

किसी भी देश में Calculation of Inflation के उद्देश्य से सूचकांकों का प्रयोग किया जाता है। सामान्यत मुद्रास्फीति की गणना के लिए तीन प्रकार के सूचकांकों का प्रयोग होता है, जिसमें से भारत में मात्र WPI और CPI का प्रयोग होता है।

इन सूचकांक में से, वर्ष 2014 से के पूर्व आरबीआई, WPI को प्रमुख सूचकांक मानती थी एवं इसी के आधार पर मौद्रिक नीतियां जारी करती थी। परंतु अर्जित पटेल समिति के सुझाव के आधार पर वर्ष 2014 से CPI को मुख्य सूचकांक बना दिया गया है। अब मौद्रिक नीतियाँ, CPI के अंतर्गत प्रकाशित आंकड़ों पर आधारित होती है।

उत्पादक मूल्य सूचकांक

उत्पादक मूल्य सूचकांक का उपयोग उत्पादन के बिंदु पर मुद्रास्फीति की गणना के लिए किया जाता है। यह घरेलू या विदेशी बाजार में अपने उत्पाद और सेवाओं के लिए एक निर्माता को प्राप्त होने वाली कीमत में औसत परिवर्तन को मापता है। इसलिए, लागत जनित मुद्रास्फीति की गणना करने के लिए यह सबसे प्रभावी उपकरण है। हालाँकि, भारत में अभी भी इस सूचकांक का उपयोग नहीं किया जाता है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

CPI के अंतर्गत मुद्रास्फीति की गणना की प्रक्रिया में वस्तुओं तथा कुछ प्रमुख सेवाओं के मूल्य में परिवर्तन को खुदरा बाजार के स्तर पर मापा जाता है। चूंकि खुदरा स्तर पर मूल्यों में अत्यधिक असमानता देखी जा सकती है, इसकी गणना के लिये आंकडे एकत्रित करना कठिन है।

थोक मूल्य सूचकांक

थोक मूल्य सूचकांक का उपयोग मुद्रास्फीति की गणना के लिए किया जाता है। WPI के अन्तर्गत वस्तुओं के मूल्य में होने वाले परिवर्तन को थोक बाजार के स्तर पर मापा जाता है। यदि आसान शब्दों में कहें तो, थोक मूल्य सूचकांक यह बताता है, कि थोक स्तर पर सामानों की कीमतें कितनी बढ़ रही हैं या घट रही हैं।

इसके आंकडे वर्तमान में प्रत्येक माह में एक बार जारी होते हैं। इन आंकड़ों को वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) प्रकाशित करता है।

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