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थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) WPI:-

थोक मूल्य सूचकांक क्या है?

थोक मूल्य सूचकांक का उपयोग मुद्रास्फीति की गणना के लिए किया जाता है। WPI के अन्तर्गत वस्तुओं के मूल्य में होने वाले परिवर्तन को थोक बाजार के स्तर पर मापा जाता है। यदि आसान शब्दों में कहें तो, थोक मूल्य सूचकांक यह बताता है, कि थोक स्तर पर सामानों की कीमतें कितनी बढ़ रही हैं या घट रही हैं।

इसके आंकडे वर्तमान में प्रत्येक माह में एक बार जारी होते हैं। इन आंकड़ों को वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) प्रकाशित करता है।

WPI की गणना में चूंकि मूल्य से सम्बन्धित ऑकडे, थोक बाजार के स्तर पर एकत्रित किए जाते है, इन्हें एकत्रित करना सरल होता है। साथ ही थोक बाजार के स्तर पर मूल्यों के संदर्भ में पूरे देश में एक समानता देखी जा सकती है।

WPI की गणना की प्रक्रिया

WPI की गणना के अतर्गत एक बास्केट का प्रयोग होता है, जिसमें मात्र वस्तुओं को ही सम्मिलित किया गया है, अर्थात इस बास्केट में सेवाए सम्मिलित नहीं है। इस बास्केट को कम से कम 5 वर्षों के उपरान्त एवं अधिक से अधिक 10 वर्षों के भीतर संशोधित किया जाता है।

वर्ष 2017 में किये गए संशोधन के अंतर्गत इस बास्केट में वर्तमान में 697 वस्तुएँ रखी गयी है। अत: WPI के अतर्गत मात्र इन्हीं 697 वस्तुओं के मूल्य में होने वाले औसत परिवर्तन को मापा जाता है। इस बास्केट को तीन हिस्सों में वर्गीकृत किया जाता है-

1. प्राथमिक वस्तुऐ
2. विनिर्मित वस्तुएँ
3. ईधन, ऊर्जा, इत्यादि।

प्राथमिक वस्तुओं के अन्तर्गत वर्तमान में 117 वस्तुएँ रखी गयी हैं। जिसमें अनाज, फल, सब्जी, कपास जूट, चाय इत्यादि को रखा गया है। विनिर्मित वस्तुओं में 584 वस्तुओं को रखा गया है।

जिसमें धातु रसायन, टी.वी. फ्रिज आदि को रखा गया है। ईधन, ऊर्जा, इत्यादि वाले भाग में 16 वस्तुएँ है, जिसमें पेट्रोलियम उत्पाद (Petroleum Product), एल.पी.जी. कोयला, विद्युत इत्यादि को रखा गया है।

WPI के अन्तर्गत मात्र इन्हीं 697 वस्तुओं के मूल्य में होने वाले परिवर्तन को मापा जाता है। यदि पिछली बार की तुलना में मूल्य में वृद्धि हो, तो इसे मुद्रास्फीति कहते है और यदि मूल्य में कमी उत्पन्न हो, तो इसे अपस्फीति Deflation कहते हैं।

WPI के बास्केट में कुछ वस्तुओं का मूल्य ऊपर जाता है, जबकि कुछ का मूल्य नीचे आता है। जिन वस्तुओं का मूल्य ऊपर जाता है, यह इस सूचकांक को ऊपर खींचते हैं, जबकि जिन वस्तुओं को मूल्य नीचे की ओर आता है, वे इस सूचकांक को नीचे की ओर खीचते है। इस प्रकार ऊपर एवं नीचे की खींचतान को Skewflation कहते हैं।

WPI की गणना में वर्तमान में आधार वर्ष 2011-2012 है, परन्तु किसी भी महीने की मुद्रास्फीति की गणना विगत वर्ष के उसी माह के तुलना में की जाती है, अर्थात Feb 2021 की मुद्रास्फीति की गणना Feb 2020 की तुलना में की जाएगी।

इस पूरी गणना के लिये लैस्पियर फॉर्मूले (Laspeyres fougnula) का प्रयोग किया जाता है।

WPI के सदर्भ में 3 सामान्य समस्याएं देखी जा सक‌ती है। इन्ही समस्याओं के कारण उर्जित पटेल समिति ने CPI को मुख्य सूचकांक बनाने का सुझाव दिया। यह समस्याएं निम्नलिखित है-

  1. WPI के अंतर्गत मूल्यों में होने वाले परिवर्तन को थोक बाजार के स्तर पर मापा जाता है, जबकि एक उपभोक्ता खुदरा स्तर पर उपभोग करता है।
  2. WPI के बास्केट में सेवाएं सम्मिलित नहीं है जबकि सेवाएं भी हमारे उपभोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अतः WPI, सेवाओं के मूल्य में होने वाले परिवर्तन को नहीं दिखा सकती है।
  3. WPI में सर्वाधिक भार विनिर्मित वस्तुओं का है, जबकि विनिर्मित वस्तुओं का प्रयोग दैनिक जीवन में कम होता है। भार के सर्वाधिक होने के कारण बास्केट के इस हिस्से में होने वाले परिवर्तन का प्रभाव WPI पर सर्वाधिक होता है।

उर्जित पटेल समिति का सुझाव-

उर्जित पटेल समिति का सुझाव यह था कि 2014 के शुरुआत से 12 महीने में मौद्रिक नीतियों के माध्यम से CPI को 10% से कम कर 8% तक लाया जाए।

उसके बाद के 12 महीनों में इसे 8% से 6% तक लाया जाए एवं इसके बाद के 12 महीनों में इसे 4% तक लाया जाए। इस 4% पर (+)/(-) 2% का परिसीमन (Range) तय किया जाए एवं नीतियों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाए कि खुदरा मुद्रास्फीति 2% से नीचे न जाए एवं 6% से ऊपर न जाए।

लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य–

लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य, 2016 में आरबीआई और भारत सरकार के बीच एक समझौते के माध्यम से अपनाया गया था। इसे वैधानिक समर्थन प्रदान करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 में भी सशोधन किया गया। इसके अतर्गत सरकार एवं आरबीआई के मध्य आपसी समझौते के माध्यम से पांच साल के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है।

नोटः-

  1. भारत सरकार ने आरवीआई को 2018-2021 तक की पांच साल की अवधि के लिए (+)/(-) 2% की सीमा के साथ खुदरा मुद्रास्फीति को 4% पर रखने की अनुमति दी। केंद्र सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति के लक्ष्य को जागे भी 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2025 तक ही 5 साल की अवधि के लिए 42% बनाए रखने का निर्णय लिया है।
  2. वर्तमान में WPI की गणना में वस्तुओं के मूल्य में ‘अप्रत्यक्ष कर’ के हिस्से को सम्मिलित नहीं किया जाता है।
  3. सरकार में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में WPI आधार वर्ष 2011-12 की वर्तमान श्रृंखला के संशोधन के लिए 18 सदस्यीय कार्यदल का गठन किया है। यह समूह WPI की वर्तमान श्रृंखला के कमोडिटी बास्केट की भी समीक्षा करेगा और 2011-12 के बाद, अर्थव्यवस्था में आए संरचनात्मक परिवर्तनों के आलोक में वस्तुओं को जोड़ने या हटाने का सुझाव देगा।

कार्यदल के विचारार्थ विषय

  • भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) की एक नई अधिकारिक श्रृंखला तैयार करने के लिए सबसे उपयुक्त आधार वर्ष का चयन करना।
  • WPI की वर्तमान श्रृंखला के कमोडिटी बास्केट की समीक्षा करना और 2011-12 के बाद, अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों के आलोक में वस्तुओं को जोड़ने या हटाने का सुझाव देना।
  • विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र के लिए मूल्य संग्रह की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा करना और सुधार के लिए बदलाव का सुझाव देना।
  • WPI और PPI के मासिक गणना हेतु अपनाई जाने वाली पद्धति पर निर्णय लेना।
  • कीमतों की श्रृंखला और रहने की लागत के सन्दर्भ में तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा अनुमोदित PPI के संकलन की मौजूदा पद्धति की जांच करना और प्रस्तुति एवं संकलन में सुधार का सुझाव देना।
  • कार्यदल WPI से PPI में स्विच करने के लिए रोडमैप की सिफारिश कर सकता है।
  • WPI और PPI की आधिकारिक श्रृंखला के रूप में विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आवश्यक किसी भी अन्य सुधार का सुझाव देना।

Thankyou!

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