NIA upsc (National Investigetion Agency)

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NIA (National Investigetion Agency) भारत की केंद्रीय आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी (Anti Terrorism Law Enforcement Agency) है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने के लिये अनिवार्य है। साथ ही निम्नलिखित के लिए भी काम करती है—

  • हथियारों, ड्रग्स और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमाओं के पार से घुसपैठ के विरुद्ध।
  • संयुक्त राष्ट्र तथा उनकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, सम्मेलनों एवं प्रस्तावों को लागू करने के लिये अधिनियमित वैधानिक कानूनों के तहत अपराध हैं, उनके विरुद्ध।
  • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
  • परमाणु और नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध।
nia upsc

Agency का गठन

इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था। नवंबर 2008 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मद्देनज़र, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था, तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने NIA की स्थापना का फैसला किया।

दिसंबर 2008 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक पेश किया। एजेंसी 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई और वर्ष 2009 में इसने अपना कामकाज शुरू किया। अब तक NIA ने 447 मामले दर्ज किये हैं।
इसका मुख्यालय नई दिल्ली मे स्थित है।

NIA कहाँ-कहाँ जाँच कर सकती है—

  • एजेंसी को गृह मंत्रालय से लिखित उद्घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
  • भारत में पंजीकृत (Registred) जहाज़ों और विमानों पर व्यक्ति, चाहे वे कहीं भी हों।
  • सरकार की सेवा में व्यक्ति जहाँ कहीं भी तैनात हैं।
  • वे व्यक्ति जो भारत के बाहर भारतीय नागरिक के विरुद्ध या भारत के हित को प्रभावित करने वाला सूचीबद्ध अपराध करते हैं।
  • जिस कानून के तहत एजेंसी संचालित होती है, वह पूरे भारत में तथा देश के बाहर (किसी अन्य देश में भी) भारतीय नागरिकों पर भी लागू होती है।

अधिनियम के अंतर्गत अपराधों की एक सूची बनाई गई है जिन पर NIA जाँच कर सकती है और मुकदमा चला सकती है।

सूचीबद्ध अपराध:–

  1. नागरिक उड्डयन अधिनियम की सुरक्षा के खिलाफ गैरकानूनी अधिनियमों का दमन।
  2. . गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम।
  3. . भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कोई अन्य प्रासंगिक अपराध।
  4. . सार्क सम्मलेन (आतंकवाद का उन्मूलन) अधिनियम।
  5. . स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम।
  6. . सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियाँ निषेध) अधिनियम।
  7. . अपहरण रोधी अधिनियम
  8. . विस्फोटक पदार्थ अधिनियम।
  9. . परमाणु ऊर्जा अधिनियम।
  10. . कॉन्टिनेंटल शेल्फ़ एक्ट पर समुद्री नेविगेशन और फिक्स्ड प्लेटफॉर्म की सुरक्षा के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों का उन्मूलन।

NIA को 2019 में भारत के बाहर किये गए अपराधों सहित कुछ अपराधों की त्वरित जाँच और अभियोजन के उद्देश्य से संशोधित किया गया था।

NIA अधिनियम में हाल के संशोधन:–

संशोधन के तीन मुख्य क्षेत्र हैं–

1.विशेष न्यायालय का गठन–
  • राज्य सरकारें अनुसूचित अपराधों के मुकदमे के लिये सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में भी नामित कर सकती हैं।
  • 2008 के अधिनियम ने अपराधों की सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों का गठन किया।
  • 2008 के संशोधन ने केंद्र सरकार को अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराधों के परीक्षण हेतु सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित करने की अनुमति दी।
  • इसे विशेष न्यायालय के रूप में नामित करने से पहले केंद्र सरकार को उच्च न्यायालय के उस मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने की आवश्यकता होती है, जिसके तहत सत्र न्यायालय कार्य कर रहा है।
2.कानून का दायरा बढ़ाना:—

संशोधन ने NIA को निम्नलिखित से संबंधित मामलों की जाँच करने की अनुमति दी है-

  • विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 (Explosive Substances Act) के तहत अपराध
  • मानव तस्करी
  • जाली मुद्रा या बैंक नोट
  • प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री
  • साइबर आतंकवाद
3.भारत के बाहर अपराधों की जाँच–
  1. मूल अधिनियम ने NIA को भारत में अपराधों की जाँच और मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
  2. 2008 में संशोधित अधिनियम ने एजेंसी को अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन भारत के बाहर किये गए अपराधों की जाँच करने का अधिकार दिया।
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NIA की जांँच प्रक्रिया:–

सिफारिश(recommendation):–

1. राज्य सरकार:-

अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य सरकारें किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज सूचीबद्ध अपराधों से संबंधित मामलों को NIA जांँच के लिये केंद्र सरकार (केंद्रीय गृह मंत्रालय) को भेज सकती हैं। उपलब्ध कराए गए विवरण का आकलन करने के बाद केंद्र एजेंसी को मामले को संभालने का निर्देश दे सकता है। राज्य सरकारों को NIA को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।

2. केंद्र सरकार—

भारत में:- जब केंद्र सरकार की राय है, कि किये गए अनुसूचित अपराध की जाँच अधिनियम के तहत की जानी आवश्यक है, तो वह जांँच करने के लिये एजेंसी को निर्देश दे सकती है।
भारत के बाहर:- जब केंद्र सरकार को पता चलता है, कि भारत के बाहर किसी भी स्थान पर जहाँ अनुसूचित अपराध किया गया है, यह अधिनियम लागू होता है, वह NIA को मामला दर्ज करने और जांँच करने का निर्देश भी दे सकती है।

अनुमोदन(Approval):–

  1. गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) और कुछ अन्य अनुसूचित अपराधों के तहत आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी केंद्र सरकार से मंज़ूरी मांगती है।
  2. UAPA की धारा 45 (2) के तहत गठित ‘प्राधिकरण’ की रिपोर्ट के आधार पर UAPA के तहत मंज़ूरी दी जाती है।

अन्य बातें:–

  • नक्सली समूहों के आतंकी वित्तपोषण पहलुओं से संबंधित मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक विशेष वामपंथी उग्रवाद (LWE) सेल है।
  • किसी भी सूचीबद्ध अपराध की जांँच करते समय एजेंसी किसी अन्य अपराध की जांँच भी कर सकती है, यदि अपराध सूचीबद्ध अपराध से जुड़ा है।

नक्सली समूहों के आतंकी वित्तपोषण पहलुओं से संबंधित मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक विशेष वामपंथी उग्रवाद (LWE) सेल है।
2. किसी भी सूचीबद्ध अपराध की जांँच करते समय एजेंसी किसी अन्य अपराध की जांँच भी कर सकती है, यदि अपराध सूचीबद्ध अपराध से जुड़ा है।
3. जाँच के बाद मामलों को NIA की विशेष न्यायालय में रखा जाता है।

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