Statutory Liquidity Ratio (SLR)-(सांविधिक तरलता अनुपात)

भारतीय अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) विभिन्न मौद्रिक उपकरणों(जैसे-CRR, SLR,RRR, etc.) का उपयोग करता है। SLR इनमें से एक महत्वपूर्ण उपकरण है। आइए देखें कि Statutory Liquidity Ratio क्या है और यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है?

What is SLR (Statutory Liquidity Ratio)

जैसे आपके पापा कुछ रुपया हमेसा अपने खर्च से बचाकर अपने पास सुरक्षित रखते होंगे, किसी भी संकट के समय खर्च करने के लिए। ठीक उसी प्रकार बैंक भी आपातकालीन समय में उपयोग के लिए अपने पास Reserve रखती हैं। ध्यान रहे- SLR को बैंक अपने पास Reserve रखती है, जबकि CRR को बैंक RBI के पास Reserve रखती है।

यह किसी बैंक की कुल जमाराशि का वह हिस्सा होता है, जिसे बैंक अनिवार्य रूप से अपने पास रखती है। इसका प्रयोग बैंक, उपभोक्ता को ऋण देने के उद्देश्य से नहीं कर सकती है। वर्तमान में (दिसंबर 2022 में) यह एक बैंक की कुल जमाराशि का 18% है।

प्रारंभ में SLR की दर पर परिस्रीमन लागू होते थे। RBI, SLR को 40% से ऊपर तथा 25% से नीचे नहीं ला सकती थी। परंतु RBI संशोधन अधिनियम (2006) के माध्यम से निचला परिसीमन हटाया गया, ऊपरी परिसीमन आज भी लागू है।

एक बैंक SLR को सोना, नकद एवं सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रख सकती है। चूंकि नकद में रखा हुआ पैसा, बैंक को किसी भी प्रकार से लाभ नहीं पहुँचाती इसलिए बैंक SLR का कम हिस्सा ही इस प्रारूप में रखती है।

यदि SLR सोना के रूप में रखा जाए तो, इसमें भी जोखिम ज्यादा होता है। अत: SLR के रूप में सबसे अधिक वरीयता सरकारी प्रतिभूतियों को दी जाती है। Statutory Liquidity Ratio (SLR) की गणना प्रत्येक 14 दिन पर होती है।

नोट- CRR, SLR न सिर्फ मौद्रिक नीति के उपकरण है, बल्कि यह भारत में मौद्रिक व्यवस्था को सुरक्षित बनाते हैं। अतः इन्हें आरक्षी अनुपात (Reserve Ratios) भी कहते हैं।

SLR अर्थव्यवस्था को कैसे नियंत्रित करता है?

RBI, SLR दर को बढ़ाकर या घटाकर, अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित कर सकता है।

SLR दर बढ़ाना:-

जब RBI, SLR दर बढ़ाता है, तो reserve की मात्रा बढने से, बैंकों के पास कम नकदी उपलब्ध होती है, जिससे बैंक कम ही ऋण दे पाते हैं। इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

SLR दर घटाना:-

जब RBI, SLR दर घटाता है, तो reserve की मात्रा कम होने से, बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध होती है, जिससे उन्हें अधिक ऋण देने की अनुमति मिलती है। इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति बढ़ जाती है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है।

क्या SLR प्रभावी उपकरण है या नहीं

यद्यपि SLR मौद्रिक नीतियों का एक उपकरण है, परंतु यह अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को निर्यात्रत करने के लिए एक प्रभावी उपकरण नहीं है। क्योंकि इसके द्वारा सोना में निवेशित धनराशि एवं प्रतिभूतियों में निवेशित धनराशि अंततः अर्थव्यवस्था में चली जाती है।

परंतु एक उपकरण के रूप में SLR, ऋण की दिशा को तय करती है। यदि SLR की दर ज्यादा हो तो ज्यादा से ज्यादा धनराशि सरकार की ओर जाएँगी। परतु SLR की दर कम हो तो ज्यादा से ज्यादा धनराशि उपभोक्ताओं को ऋण के रूप में प्राप्त होंगी।

SLR के फायदे:-

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करता है:- SLR दर में वृद्धि करके, मुद्रा आपूर्ति को कम किया जाता है, जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करती है।

वित्तीय स्थिरता बनाए रखता है:- पर्याप्त मात्रा में तरल संपत्ति रखने से बैंक, आर्थिक मंदी के दौरान भी निकासी का सामना करने में सक्षम होते हैं।

SLR के नुकसान:-

आर्थिक विकास को बाधित कर सकता है:- SLR दर में वृद्धि से बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों की मात्रा कम हो सकती है, जो आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है।

ब्याज दरों को प्रभावित कर सकता है:- SLR दर में बदलाव बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों को भी प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:-

Statutory Liquidity Ratio (SLR) भारतीय रिज़र्व बैंक का एक महत्वपूर्ण मौद्रिक उपकरण है, जिसका उपयोग मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखने के लिए किया जाता है। RBI अर्थव्यवस्था की स्थिति के अनुसार SLR दर को समायोजित करता है।

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