भारत में बैंकों का इतिहास (History of indian banks)

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भारत में बैंकों का इतिहास

अर्थव्यवस्था में बैंको का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत में स्थापित पहली बैंक Bank of Hindustan थी। इसकी स्थापना 1770 में Alexander and Company ने किया था। यह बैंक ज्यादा लंबे समय तक कार्य नहीं कर सकी एवं इसे बंद कर दिया गया। इसके उपरांत East India Company कंपनी ने एक के बाद एक तीन बैंकों की स्थापना की।

1806 में Bank of Calcutta की स्थापना की गई, जिसका नाम 1809 में बदलकर Bank of Bangal कर दिया गया। 1840 में Bank of Bombay की स्थापना की गई एवं 1843 में Bank of Madras की स्थापना हुई।

1921 में इन तीनों बैंकों का विलय कर दिया गया। इस विलय में द इंपीरियल बैंक आफ इंडिया की स्थापना हुई। 1865 में इलाहाबाद बैंक की स्थापना की गई। यह भारत में उसी नाम के साथ कार्यरत प्राचीनतम बैंक थी। जिसका हाल ही में इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया।

1881 में अवध कमर्शियल बैंक की स्थापना की गई। यह भारत की पहली बैंक थी जिसमें शेयर धारक बनाए गए। 1894 में PNB बैंक की स्थापना की गई। यह पहली पूर्णत: भारतीय बैंक थी, जिसमें विदेशियों का निवेश नहीं था।

1955 में इंपीरियल बैंक आफ इंडिया को भारत सरकार के अधीन कर दिया गया एवं इसका नाम परिवर्तित कर SBI कर दिया गया। आगामी वर्षों में 7 बड़े बैंकों की को SBI के सहायक बैंक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। यह सहायक बैंक निम्नलिखित थे—–

  1. State bank of Mysore
  2. State bank of Travancore
  3. State bank of Patiala
  4. State bank of Bikaner & Jaipur
  5. State bank of Hydrabad
  6. State bank of Saurashtra
  7. State bank of Indore

इन 7 सहायक बैंकों में से स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र का विलय 2008 में SBI के साथ कर दिया गया। स्टेट बैंक आफ इंदौर का विलय 2010 में SBI के साथ कर दिया गया।

1 अप्रैल 2017 को बचे हुए पांच सहायक बैंकों का विलय भी SBI में कर दिया गया। इस वर्ष भारतीय महिला बैंक का विलय भी SBI में कर दिया गया। अतः वर्तमान में न तो यह सहायक बैंक उपस्थित है, और न ही भारतीय महिला बैंक उपस्थित है।

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