कोर मुद्रास्फीति एक आर्थिक शब्द है, जो आमतौर पर मुद्रास्फीति के एक प्रकार को दर्शाता है। यह मुद्रास्फीति का एक उप-सेगमेंट होता है, जो विशेष उत्पादों और सेवाओं के मूल्य की दिशा में होने वाले बदलाव को दर्शाता है, जो मुद्रास्फीति के प्रमुख कारकों से पृथक होता है।
कोर मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति की गणना के उद्देश्य से जिस बास्केट का प्रयोग होता है, उसमें कुछ वस्तुएँ ऐसी होती है, जिनके मूल्य बहुत तेजी से परिवर्तित होते हैं। जबकि कुछ वस्तुएँ ऐसी होती है, जिनका मूल्य लम्बे समय तक स्थिर रहता है।
जब बास्केट में से उन वस्तुओं को निकाल दिया जाता है, जिनका मूल्य तेजी से परिवर्तित होता है एवं मात्र उन्हीं वस्तुओं के मूल्य में होने वाले परिवर्तन को मापा जाता है, जो लम्बे समय तक स्थिर रहते है। तब यह Core inflation कहलाता है।
कोर मुद्रास्फीति की गणना समग्र सीपीआई (CPI Combined) से खाद्य और पेय पदार्थ और ईंधन और प्रकाश समूहों को घटाकर की जाती है।
कोर मुद्रास्फीति एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है जो आर्थिक नीतियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वास्तविक उत्पादों और सेवाओं की मूल्य गति को सही ढंग से मापने में मदद करता है।
इसका उपयोग करके, नीति निर्माता और आर्थिक विश्लेषक विभिन्न आर्थिक नीतियों का मूल्यांकन करने में सक्षम होते हैं, क्योंकि यह उन्हें महंगाई के प्रभाव से अलग करके सामान्य मूल्य गति को निर्दिष्ट करने में सहायक होता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कहा गया है, कि सीपीआई (संयुक्त) में ईंधन और प्रकाश’ श्रेणी के तहत वाहनों में उपयोग होने वाले पेट्रोल और डीजल जैसे इंधन आइटम शामिल नहीं है। ये विविध समूह के एक उपसमूह ‘परिवहन और संचार में शामिल हैं।
इसलिए, खुदरा कोर मुद्रास्फीति की गणना करने का पारंपरिक तरीका अस्थिर वस्तुओं (जिनका मूल्य तेजी से परिवर्तित होता है) के प्रभाव को समाप्त नहीं करता है। इसलिए ईंधन की कीमतों में वृद्धि का असर कोर मुद्रास्फीति पर पड़ रहा है।
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